Wednesday, January 2, 2013

बहादुर बाला को श्रद्धांजलि



  बहादुर बाला को श्रद्धांजलि
तुम अनामिका होकर भी, चर्चित हो हर लब पर,
तुम तो मर कर भी, हो गई सदा के लिए अमर,
चेता दी आग करोड़ों मुर्दा दिलों मैं,
चेतना की एक धधकती मशाल बन कर,
तुम तो रहोगी जिन्दा, सदा हमारे दिलों में,
हे देवी ! तुम्हें मेरा वन्दन शत-शत |
तुम तो शहीद हो गई, मानवता की बलिवेदी पर,
बुझ गई तुम्हारी लौ, हजारों चिराग रोशन कर,
झकझोर दिये तुमने तो, जीवित नरकंकालों के ह्रदय भी,
सरफरोशी का एक झंझावात बनकर,
तुम तो रहोगी जिन्दा, सदा हमारे दिलों में,
हे देवी ! तुम्हें मेरा वन्दन शत-शत |
सफ़ेद चोलों से ढके जो, गिद्ध-कौओं से भी बदतर,
शैतान भी शरमा रहे, जिनकी हेवानियत देख कर,
जबतक मिलेगा न इंसाफ हर नारी को, यह वादा हमारा,
चालू रहेगी इंसानियत की, यह जंग तब तलक,
तुम तो रहोगी जिन्दा, सदा हमारे दिलों में,
हे देवी ! तुम्हें मेरा वन्दन शत-शत |