Tuesday, March 22, 2011

भावों का दर्पण


 भावों का दर्पण    
छुपा लो चाहे जितना मन में,
छुपा नहीं पाता है चेहरा |
दिल का हाल बता देता है,
भावों का दर्पण है चेहरा |

शांत, गंभीर जो होता चेहरा,
सागर सा लगता है गहरा |
भावनाओं से नयनों में, तब –
प्यार सा उमड़े तूफां गहरा |

उलझा माथा रेखाओं में,
सिकुड़ापन चिंता बतलाती |
गुस्से सी भौहें जब उठती,
लाल-लाल हो आँख दिखाती |

भाव-विभोर होंठ हिलते, पर –
शब्द न कोई बाहर आता |
पवित्रता सा पावन जल, बन-
प्रेम-अश्रु, नयन छलकता |

दुःख सी नाक सिकुड़-सिकुड़ कर,
गम को अन्दर-अन्दर पीती |
झरनों जैसे नयनों से यह,
आँसू बन झर-झर ही बहती |

खुशी से प्रस्फुटित होंठ जब खुलते,
मुस्कान बन गालों पर खिलते |
गुदगुदी से नरम गालों पर,
अट्हास आँसू बन दीखते |

कोमलता से नाजुक होंठ,
प्यार का जाम जब टकराते |
शर्म सी पलकें, झुक मदहोश हो,
प्यार लुटते, प्यार लुटाते |



Friday, March 18, 2011

होली पर प्रेमी-प्रेमिका की छेड़छाड़


 होली पर प्रेमी-प्रेमिका की छेड़छाड़
प्रेयसी –
पिचकारी से रंगन की, काहे बौछार करत|
कचनारी अंगन पे, मोहे है मार पड़त |
भीग गई चुनरिया, लाज से मैं हूँ मरत |
कजरारे नयन बची, काहे मोरी लाज हरत ?
सर-सर-सर, सर-सर-सर, स र र र र, स र र र र,
सर-सर-सर, सर-सर-सर, स र र र र ,स र र र र |
प्रेमी –
होली के रंगन में, मोर सी तू है लगत |
कचनारी अंगन पे, मेरो जियो गयो भटक |
भीगी चुनरिया पे, मैं तो मरुँ हर कीमत |
नयनन से मोहे पिला, काहे तू लाज करत ?
सर-सर-सर, सर-सर-सर, स र र र र, स र र र र,
सर-सर-सर, सर-सर-सर, स र र र र ,स र र र र |

Monday, March 14, 2011

नौटंकी दुनिया -कठपुतली जीवन


        नौटंकी दुनिया –  कठपुतली जीवन


दौड़ा-भागी ,आपा-धापी ,रेलम-पेल ,धक्कम-धक्का |
धमा-चौकड़ी ,हाथा-पाई ,भागम-भाग ,भीड़-भडक्का |
तू-तू ,मैं-मैं ,बक-बक ,झक-झक ,उठा-पटक ,लटका-झटका |
कूद-फांद ,धींगा-मस्ती ,अफरा-तफरी ,धक्का-मुक्का |
छिना-झपटी ,मारा-मारी ,उछल-कूद ,धूम-धड़क्का |
हडबड नौटंकी दुनिया में ,जीवन बना इक कठपुतली सा |