जीवन – संध्या
जब अस्ताते सूर्य का अंतिम स्वर्णिम प्रकाश ,
तेजी से बढ़ते क्षितिज के अंधकार में ,
डूबने को हो तैयार |
तब ,
उस सूर्य का ,
जिसने हमें ,
उदय से अस्त तक ,
सिर्फ़ अपनी उर्जा व प्रकाश ही दिया,
अपना आभार दिखलाये |
आओ ,
उस संध्या-बेला में ,
अपनत्व का दीप जला ,
प्यार का प्रकाश फैलाये |
और ,
सब साथ मिल ,
जीवन को ज्योतिर्मय बनाये |
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